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श्रीकनकधारास्तोत्रम्
श्री कनकधारा स्तोत्र एक शक्तिशाली धार्मिक स्तोत्र है जो मां लक्ष्मी की कृपा और आशीर्वाद को आमंत्रित करता है। यह स्तोत्र आदि शंकराचार्य द्वारा रचित है और इसमें 21 श्लोक हैं जो भगवती लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं । इस ब्लॉग पोस्ट में, हम श्री कनकधारा स्तोत्र के अर्थ, महत्व, और इसके…
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महिषासुरमर्दिनि स्तोत्र: शक्ति और विजय का प्रतीक
महिषासुरमर्दिनि स्तोत्र एक प्राचीन हिंदू धार्मिक मंत्र है जो मां दुर्गा की महानता और शक्ति को वर्णित करता है। यह स्तोत्र रचनार्थ रचित हुआ था और इसमें ३२ श्लोक हैं जो दुर्गा मां की महिमा और उनके शक्तिशाली स्वरूप का वर्णन करते हैं। यह स्तोत्र मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन करते हैं और…
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रुद्राभिषेक: भगवान शिव की कृपा का अद्भुत अनुभव
सनातन धर्म में भगवान शिव को भक्ति, प्रेम और शक्ति के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। उनके विभिन्न रूपों और गुणों का प्रतीक, ‘रुद्राभिषेक’ एक ऐतिहासिक पूजा पद्धति है जो उनके शक्तिशाली स्वरूप का मानव जीवन में अनुभव करने का एक विशेष तरीका है। रुद्राभिषेक का महत्व रुद्राभिषेक शिव भगवान की महत्वपूर्ण पूजाओं…
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श्री राम भजन – रघुपति राघव राजा राम
रघुपति राघव राजाराम पतित पावन सीताराम ।सुंदर विग्रह मेघश्याम गंगा तुलसी शालग्राम ॥ रघुपति राघव राजाराम पतित पावन सीताराम ।भद्रगिरीश्वर सीताराम। भगत-जनप्रिय सीताराम ॥ रघुपति राघव राजाराम। पतित पावन सीताराम ।जानकीरमणा सीताराम। जयजय राघव सीताराम ॥ रघुपति राघव राजाराम। पतित पावन सीताराम ।रघुपति राघव राजाराम। पतित पावन सीताराम ॥
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श्री राम स्तुति
दोहाश्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन हरण भवभय दारुणं ।नव कंज लोचन कंज मुख कर कंज पद कंजारुणं ॥ कन्दर्प अगणित अमित छवि नव नील नीरद सुन्दरं ।पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि नोमि जनक सुतावरं ॥ भजु दीनबन्धु दिनेश दानव दैत्य वंश निकन्दनं ।रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल चन्द दशरथ नन्दनं ॥ शिर मुकुट कुंडल तिलक चारु उदारु…
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श्री शिवाष्टक
आदि अनादि अनंत अखंड अभेद अखेद सुबेद बतावैं।अलग अगोचर रूप महेस कौ जोगि-जति-मुनि ध्यान न पावैं॥आग-निगम-पुरान सबै इतिहास सदा जिनके गुन गावैं।बड़भागी नर-नारि सोई जो साम्ब-सदाशिव कौं नित ध्यावैं॥1॥ सृजन सुपालन-लय-लीला हित जो बिधि-हरि-हर रूप बनावैं।एकहि आप बिचित्र अनेक सुबेष बनाइ कैं लीला रचावैं॥सुंदर सृष्टि सुपालन करि जग पुनि बन काल जु खाय पचावैं।बड़भागी नर-नारि…
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श्री शिव तांडव स्तोत्र
जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम् ।डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ॥१॥ जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि ।धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ॥२॥ धराधरेन्द्रनंदिनीविलासबन्धुबन्धुर स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे ।कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि क्वचिद्दिगम्बरे(क्वचिच्चिदम्बरे) मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥३॥ जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे ।मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ॥४॥ सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः ।भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटक श्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः ॥५॥ ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम् ।सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं महाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु नः ॥६॥ करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल…