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यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् । धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥

  • श्रीकनकधारास्तोत्रम्

    श्री कनकधारा स्तोत्र एक शक्तिशाली धार्मिक स्तोत्र है जो मां लक्ष्मी की कृपा और आशीर्वाद को आमंत्रित करता है। यह स्तोत्र आदि शंकराचार्य द्वारा रचित है और इसमें 21 श्लोक हैं जो भगवती लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं । इस ब्लॉग पोस्ट में, हम श्री कनकधारा स्तोत्र के अर्थ, महत्व, और इसके…


  • महिषासुरमर्दिनि स्तोत्र: शक्ति और विजय का प्रतीक

    महिषासुरमर्दिनि स्तोत्र एक प्राचीन हिंदू धार्मिक मंत्र है जो मां दुर्गा की महानता और शक्ति को वर्णित करता है। यह स्तोत्र रचनार्थ रचित हुआ था और इसमें ३२ श्लोक हैं जो दुर्गा मां की महिमा और उनके शक्तिशाली स्वरूप का वर्णन करते हैं। यह स्तोत्र मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन करते हैं और…


  • रुद्राभिषेक: भगवान शिव की कृपा का अद्भुत अनुभव

    सनातन धर्म में भगवान शिव को भक्ति, प्रेम और शक्ति के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। उनके विभिन्न रूपों और गुणों का प्रतीक, ‘रुद्राभिषेक’ एक ऐतिहासिक पूजा पद्धति है जो उनके शक्तिशाली स्वरूप का मानव जीवन में अनुभव करने का एक विशेष तरीका है। रुद्राभिषेक का महत्व रुद्राभिषेक शिव भगवान की महत्वपूर्ण पूजाओं…